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जज की भतीजी के इलाज  में भी लापरवाही
गोरखपुर । जिला अस्पताल जहां सब कुछ मनमौजी चलता है। ''एप्रोच' न हो तो यहां आने वाले मरीजों को देखना तो दूर कोई पूछने वाला नहीं है। यही नहीं ज्यादा मरीज हो-हल्ला किया तो उसको रेफर कर दिया जाता है। मरीजों को धमकी भी दी जाती है और यह भी कहा जाता है कि यहां से निकलने में ही तुम्हारी भलाई है। इतना सुनने के बाद कोई मरीज यहां रुकेगा क्या? तमाम प्रकरण हैं जिसको लेकर जिला अस्पताल इन दिनों र्चचा में है।सूरजकुंड डोमखाना के रहने वाले युवक कन्हैया के साथ जिला अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में क्या हुआ, किसी से छिपा नहीं है। मरीज को इस कदर परेशान किया गया कि वह मेडिकल कालेज चला गया। अब वह ठीक है। उसकी मां ने भी सीएम समेत अन्य को शिकायत-पत्र भेजी है। वहीं एक अपर प्रधान न्यायाधीश ने खुद जिला अस्पताल में व्याप्त एवं विद्यमान अव्यवस्था एवं उदासीनता देखी। उनको रहा नहीं गया और उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ, निदेशक स्वास्य, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक एवं सीएमओ को पत्र लिख डाला। कल 23 सितम्बर की शाम उनकी भतीजी का ग्लास से अंगुली कट गयी और रक्तश्राव होने लगा। जिला अस्पताल की इमरजेंसी कक्ष में ले जाया गया, वहां तीन-चार लोग बैठे थे लेकिन उचित परिधान नहीं पहने थे। ईएमओ नहीं थे हालांकि अपर प्रधान न्यायाधीश ने अपना परिचय भी दिया। आनन-फानन में पट्टी बांध दी गयी और सूई लगायी गयी। तभी ईएमओ आ गये और पूछताछ करके चले गये। दवा भी नहीं लिखी गयी और न ही दी गयी। अपर प्रधान न्यायाधीश अपनी भतीजी को लेकर आवास पर आ गये। पर अंगुली से रक्तश्राव बंद नहीं हुआ। परेशान होकर उन्होंने पड़ोस में एक नर्सिग होम में भतीजी को ले गये, जहां उसकी अंगुली में टांका लगा, दवा दी गयी। पत्र में उन्होंने लिखा है कि रंग-बिरंगे कपड़ों में इमरजेंसी कक्ष में बैठने वालों को कौन पहचानेगा? अप्रन भी किसी ने नहीं पहना था। वहां पोषित पंजिका में मरीज का नाम तक नहीं लिखा गया और न ही दिये गये उपचार के बारे में अंकन किया गया। इमरजेंसी कक्ष में मौजूद रहे कर्मचारी-अधिकारियों की उदासीनतापूर्वक रवैये से दुख पहुंचा। यहां उपचार के नाम पर सिर्फ दिखावा देखने को मिला। इमरजेंसी दवाएं उपलब्ध नहीं है और मरीज के लिए बाहर की दवा लिखी नहीं जाएगी, पच्रे नहीं बनाये जाएंगे तो ऐसी स्थिति में प्रभावी उपचार कैसे संभव हो सकेगा? यहां तो चिकित्सीय सुविधाओं को टोटा है खासकर इमरजेंसी कक्ष में। अपर न्यायाधीश ने मांग की है कि इमरजेंसी कक्ष की सेवाओं की गुणवत्ता और प्रभावी उपचार के संबंध में संबंधित को निर्देश दें ताकि वह ठीक हो सके। 23 सितम्बर की शाम 7.30 और 7.45 बजे के बीच इमरजेंसी कक्ष में डयूटी पर रहे कर्मचारी-चिकित्सक के विरुद्ध उचित कार्यवाही करें ताकि जनमानस में सरकारी सेवाओं के प्रति विास बढ़े और बना रहे।