योगी वही जो खुद का चिंतन करे: मोरारी बापू

योगी वही जो खुद का चिंतन करे: मोरारी बापू
गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर और श्रीराम कथा प्रेमयज्ञ समिति की ओर से ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की स्मृति में आयोजित रामकथा के छठे दिन गुरुवार को चंपा देवी पार्क में मोरारी बापू ने श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि गोरखनाथ ने गुरु मत्स्येन्द्र नाथ से पूछा हे गुरुवर आप के अनुसार योगी कौन है? गुरुवर ने कहा योगी वो है, जो सदैव खुद के चिंतन में रहता है। भोगी लोग सदैव दूसरों के चिंतन-प्रपंच में डूबे रहते हैं। उन्हें खुद में कोई कमी नहीं दिखाई देती उन्हें केवल अन्य लोगों में कमी नजर आती है। अगर आप मानते हैं कि आप में कोई कमी नहीं है तो ये आप की गलत प्रवृति है। पुनरू गोरखनाथ ने पूछा योगी कैसे बनें? गुरुवर ने कहा, योग पाना है तो कभी समूह अथवा भीड़ में मत रहना। अकेले भजन करना। ये आंतरिक विषय है। भीड़ का विषय नहीं है। भीड़ में केवल कीर्तन संभव है। कथा में वक्ताओं के पंचशील को बताते हुए कहा कि शिव के समान कोई वक्ता नहीं हुआ। वक्ता का शील कैलाश पर्वत को तरह अटल होना चाहिए। छोटी-छोटी बातों से उसका शील भंग नहीं होना चाहिए। वक्ता को गुरुकृपा से परम विवेक होना चाहिए। विवेक व परम विवेक में अंतर शुद्धता का है। परम विवेकी राजहंस की तरह शुद्ध होता है। वक्ता को परम व प्रवीण ज्ञानी होना चाहिए। बापू ने कहा कि कलयुग में मन, कर्म व वचन से लबार अर्थात विमुख होना ही शील भंग है। उन्होंने गुरु मत्स्येन्द्रनाथ व शिष्य गोरखनाथ के संवाद का उदाहरण देते हुए कहा कि एक बार शिष्य गोरखनाथ ने गुरुजी से प्रश्न किया कि गुरु का उपदेश क्या है? तो गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने उत्तर दिया 'गुरु का आदेश ही उपदेश है' गुरु के आदेश पर पूरे वेद खड़े हो जाते हैं। नाथ परंपरा का भी मूल मंत्र है आदेश।
बापू ने इसके उपरांत श्रोताओं के लिए पंचशील सूत्र के बारे में कि कहा अगर आप व्यासपीठ पर आकर एक लाख रुपये का भेंट करो तो शील की प्राप्ति कभी नहीं होगी। यहां केवल फोटो खींची जाएगी। अगर आप ने अपने वृद्ध माता-पिता को वृद्धाश्रम नहीं भेजा और उनकी सेवा की है तो आप को शील प्राप्त होगा। उन्होंने कहा, पड़ोसियों की मदद करों उनकी सेवा करो, उनसे प्रेम पूर्वक व्यवहार करो तो शील आएगा।
महात्मा गांधी को किया याद
मोरारी बापू ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को मानस से दीक्षित व्यक्ति बताते हुए कहा कि बापू प्रबुद्ध थे, वे स्वयं एक संत थे। महात्मा गांधी ने कहा था कुछ धार्मिक व सामाजिक संस्थाएं धर्म के नाम पर धंधा कर रही हैं। ये वे संस्थाएं है जो वैष्णव नहीं हैं। आजादी के लड़ाई में ऐसे लोगों ने अंग्रेजों का साथ दिया था। ये कतई वैष्णव नहीं हो सकते। ये भारत माता के शत्रु है। बापू ने महात्मा गांधी के सम्मान में वैष्णव जन ता तेने कहिए अत्यंत लोक प्रिय भजन गा कर वैष्णव होने का अर्थ बताया।
प्रधानमंत्री के बयान की प्रशंसा
बापू ने इस प्रसंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यशस्वी बताते हुए कहा कि हमारे लिए ये गर्व का विषय है कि प्रधानमंत्री ने यूनाइटेड नेशन जैसे पटल पर अपने भाषण में कहा कि 'भारत ने जगत को बुद्ध दिया है। युद्ध नहीं' यह भारत की मूलधारा है।
राफेल की पूजा का बताया सही
बापू ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा राफेल की पूजा किए जाने पर छिड़े विवाद पर कहा कि पूजा करना हमारी मूल संस्कृति है। राफेल लड़ाकू विमान पर ओम लिखकर पूजा करने पर कुछ लोगों आपत्ति ठीक नहीं है।